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बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2721
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञान - सरब प्रश्नोत्तर

प्रश्न- मानकीकरण से आप क्या समझते हैं? इनकी क्या विशेषतायें हैं? मानकीकरण की प्रक्रिया विधि की विवेचना कीजिये।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. परीक्षण का मानकीकरण किस प्रकार किया जाता है?
2. मानकीकरण के स्वरूप का वर्णन कीजिये।
3. मानकीकरण किसे कहते हैं?
4. मानकीकरण की क्या विशेषतायें हैं?

अथवा
परीक्षण मानकीकरण की विशेषतायें लिखिये।
5. मानकीकरण की प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।

उत्तर -

मानकीकरण का अर्थ एवं परिभाषा
(Meaning and Definition of Standardization)

मानकीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा परीक्षण के लिए मानकों का एक सेट (Set) तैयार किया जाता है। मानकों का यह सेट सारणी के रूप में होता है जिसमें प्रतिनिधिपूर्ण व्यक्तियों का सम्भावित प्राप्तांक (Possible score) होता है। मानकीकरण को परिभाषित करते हुए विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने भिन्न-भिन्न विचार प्रस्तुत किये हैं जिनमें से कुछ प्रमुख परिभाषायें निम्नलिखित हैं-

"मानकीकरण का अर्थ उस प्रक्रिया से है जिसके द्वारा एक बड़े तथा प्रतिनिधि प्रतिदर्श पर परीक्षण का प्रशासन करके उसके लिये मानकों का निर्माण किया जाता है। साथ ही साथ निर्देशनों, समय सीमाओं तथा कार्यप्रणाली में आवश्यक परिवर्तनों को निर्धारित किया जाता है।" "Standardization is a process of establishing norms for test by administering it to a large and representative sample. At the same time, the establishment of directions, time limits and permissible variations in procedure are datermined." - चैपलिन (Chaplin, 1975)

"मानकीकरण का अर्थ उन प्रक्रियाओं तथा कार्यप्रणालियों से है, जिनके द्वारा किसी परीक्षण के लिए मानकों का एक सेट तैयार किया जाता है।" "Standardization refers to the processes and procedures of establishing a set of norms for a test."  - रेबर (Reber, 1987)

उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि मानकीकरण एक प्रक्रिया या कार्यप्रणाली है जिसके द्वारा किसी प्रतिनिधिपूर्ण प्रतिदर्श पर किसी परीक्षण को प्रशासन करके एक सारणी के रूप में मानकों के एक सेट का निर्माण किया जाता है जिसके आधार पर परीक्षण से प्राप्त प्राप्तांकों का तुलनात्मक अध्ययन किया जा सके। इसके साथ-साथ मानकीकरण में परीक्षण के लिए निर्देशनों, कार्यविधि या समय सीमा में आवश्यकतानुसार संशोधन भी किये जाते हैं तथा मानकीकरण की प्रक्रिया के द्वारा उस परीक्षण की कार्यप्रणाली को प्रामाणिक बनाया जाता है।

मानकीकरण की विशेषतायें
(Characteristics of Standardization)

मानकीकरण के स्वरूप को समझने के लिए उसकी विशेषताओं को समझना आवश्यक है। मानकीकरण की कुछ प्रमुख विशेषतायें निम्नलिखित हैं-

1. मानकीकरण वह प्रक्रिया (Process) या कार्यप्रणाली (Procedure) है जिससे मापन (Measurement) को वैज्ञानिक, विश्वसनीय तथा वैध बनाया जाता है।

2. मानकीकरण का मापन के वैज्ञानिक नियमों से घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। इन नियमों की सहायता से मापन को शुद्ध, विश्वसनीय, वस्तुनिष्ठ, वैध तथा प्रमाणिक बनाया जाता है।

3. मानकीकरण की प्रक्रिया के द्वारा परीक्षण के लिए मानक का एक सेट तैयार किया जाता है। ये मानक एक प्रकार के न होकर अनेक प्रकार के होते हैं।

4. मानकीकरण के द्वारा परीक्षण की कार्यप्रणाली को वैज्ञानिक नियमों की सहायता से प्रामाणिक बनाया जाता है।

5. मानकीकरण प्रक्रिया के द्वारा एक परीक्षण की समय सीमा को भी वैज्ञानिक ढंग से निर्धारित किया जाता है जिससे मापन में वैज्ञानिकता और शुद्धता बनी रहे।

मानकीकरण की प्रक्रिया विधि
(Procedure of Standardization)

परीक्षण के निर्माण में मानकीकरण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। मानकीकरण की प्रक्रिया विधि को निम्नलिखित पदों के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है -

1. मापन हेतु नियमों का निर्धारण (Determination of Rules for Measurement) - मापन हेतु नियमों का निर्धारण मानकीकरण की प्रक्रिया का पहला पद है। जब कोई परीक्षण निर्माणकर्ता परीक्षण के निर्माण की योजना बनाता है तो योजना के अन्तर्गत वह परीक्षण के उद्देश्यों और प्रारूप के सम्बन्ध में योजना बनाने के साथ ही अपने कार्यरूप में परिणित करने के लिए कुछ नियमों को भी निर्धारित करता है। मापन के ये नियम वैज्ञानिक नियम होते हैं। परीक्षण निर्माणकर्ता इन नियमों का निर्धारण परीक्षण द्वारा मापित विशेषता के मापन की शुद्ध, विश्वसनीय, वैद्य एवं प्रमाणिक विधि बनाने के उद्देश्य से करता है।

2. निर्देशों का मानकीकरण (Standardization of Instructions) - मानकीकरण की प्रक्रिया में निर्माणाधीन परीक्षण के निर्देश भी प्रामाणिक ढंग से तैयार किये जाते हैं। परीक्षण निर्माणकर्ता परीक्षण के निर्देशों को इस प्रकार तैयार करता है कि निर्देश इतने स्पष्ट हों कि परीक्षार्थी को क्या करना है, यह बात निर्देशों से पूरी तरह से स्पष्ट हो जाये।

 

3. परीक्षण प्रशासन का मानकीकरण (Standardization of Test Administration) - परीक्षण की कार्यप्रणाली के मानकीकरण के क्रम में परीक्षण के प्रशासन का भी मानकीकरण किया जाता है। यहाँ परीक्षण के प्रशासन के मानकीकरण से तात्पर्य यह है कि परीक्षण का प्रशासन चाहे परीक्षण निर्माणकर्ता स्वयं करे या कोई विद्वान करे या कोई शोधार्थी करे, प्रत्येक अवस्था में परीक्षण का प्रशासन समान हो। इसके लिए परीक्षण प्रशासन को भली-भांति परिभाषित करके इस सम्बन्ध में उपयुक्त नियम बनाये जाते हैं।

4. समय सीमा का मानकीकरण (Standardization of Time Limit) - परीक्षण की कार्यप्रणाली के मानकीकरण के अन्तर्गत परीक्षण की समय सीमा का निर्धारण भी सम्मिलित होता है। परीक्षण के भरने का समय अथवा परीक्षण के पूर्ण करने का समय यदि आवश्यक है तो समय के अनुसार सीमाबद्ध हो जाना चाहिये। कुछ योग्यताओं के मापन के समय सीमा में परिवर्तन परीक्षण के परिणाम को प्रभावित करता है।

5. परीक्षण फलांकन का मानकीकरण (Standardization of Scoring the Test) - एक परीक्षण जिस विशेषता, योग्यता अथवा शीलगुण के मापन के लिए बनाया गया है वह परीक्षण उस विशेषता, योग्यता या शीलगुण का मापन कितना वस्तुनिष्ठ, वैज्ञानिक, शुद्ध एवं विश्वसनीय ढंग से करेगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि परीक्षण के फलांकन की क्या विधि है। आजकल कम्प्यूटर का युग है अतः परीक्षण का फलांकन कम्प्यूटर द्वारा होने के कारण यह स्वतः ही प्रमाणिक बन गयी है परन्तु यदि ऐसा सम्भव नहीं है तो फलांकन विधि इस प्रकार होनी चाहिये कि फलांकन कोई भी करे, बार-बार एक ही परिणाम आयें।

6. मानकों की स्थापना (Standardization of Norms) - एक परीक्षण के मानकीकरण की प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण चरण मानकों की स्थापना है। इसके अन्तर्गत आयु मानक, श्रेणी मानक, और शतांशीय मानक और मानक प्राप्तांक की तालिका का निर्माण और निर्धारण आता है। इस चरण के सम्बन्ध में रेबर (1987) ने मानकीकरण के सम्बन्ध में कहा है कि मानकीकरण की प्रक्रिया के द्वारा एक परीक्षण के लिए मानकों के एक सेट का निर्माण किया जाता है जो सम्पूर्ण प्रक्रिया का एक विशिष्ट एवं महत्वपूर्ण अंग है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- मापन के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  2. प्रश्न- मापनी से आपका क्या तात्पर्य है? मापनी की प्रमुख विधियों का उल्लेख कीजिये।
  3. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिये।
  4. प्रश्न- मापन का अर्थ एवं परिभाषा बताते हुए इसकी प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए।'
  5. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन को स्पष्ट करते हुए मापन के गुणों का उल्लेख कीजिए तथा मनोवैज्ञानिक मापन एवं भौतिक मापन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- मापन की जीवन में नितान्त आवश्यकता है, इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  8. प्रश्न- मापन के महत्व पर अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
  9. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  10. उत्तरमाला
  11. प्रश्न- मनोविज्ञान को विज्ञान के रूप में कैसे परिभाषित कर सकते है? स्पष्ट कीजिए।
  12. प्रश्न- प्रायोगिक विधि को परिभाषित कीजिए तथा इसके सोपानों का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- अवलोकन किसे कहते हैं? अवलोकन का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा अवलोकन पद्धति की विशेषताएँ बताइए।
  15. प्रश्न- अवलोकन के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
  16. प्रश्न- चरों के प्रकार तथा चरों के रूपों का आपस में सम्बन्ध बताते हुए चरों के नियंत्रण पर प्रकाश डालिए।
  17. प्रश्न- परिकल्पना या उपकल्पना से आप क्या समझते हैं? परिकल्पना कितने प्रकार की होती है।
  18. प्रश्न- जनसंख्या की परिभाषा दीजिए। इसके प्रकारों का विवेचन कीजिए।
  19. प्रश्न- वैज्ञानिक प्रतिदर्श की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
  20. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
  21. प्रश्न- उपकल्पनाएँ कितनी प्रकार की होती हैं?
  22. प्रश्न- अवलोकन का महत्व बताइए।
  23. प्रश्न- पक्षपात पूर्ण प्रतिदर्श क्या है? इसके क्या कारण होते हैं?
  24. प्रश्न- प्रतिदर्श या प्रतिचयन के उद्देश्य बताइये।
  25. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  26. उत्तरमाला
  27. प्रश्न- वर्णनात्मक सांख्यिकीय से आप क्या समझते हैं? इस विधि का व्यवहारिक जीवन में क्या महत्व है? समझाइए।
  28. प्रश्न- मध्यमान से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोषों तथा उपयोग की विवेचना कीजिये।
  29. प्रश्न- मध्यांक की परिभाषा दीजिये। इसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिये।
  30. प्रश्न- बहुलांक से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोष तथा उपयोग की विवेचना करें।
  31. प्रश्न- चतुर्थांक विचलन से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोषों की व्याख्या करें।
  32. प्रश्न- मानक विचलन से आप क्या समझते है? मानक विचलन की गणना के सोपान बताइए।
  33. प्रश्न- रेखाचित्र के अर्थ को स्पष्ट करते हुए उसके महत्व, सीमाएँ एवं विशेषताओं का भी उल्लेख कीजिए।
  34. प्रश्न- आवृत्ति बहुभुज के अर्थ को स्पष्ट करते हुए रेखाचित्र की सहायता से इसके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- संचयी प्रतिशत वक्र या तोरण किसे कहते हैं? इससे क्या लाभ है? उदाहरण की सहायता से इसकी पद रचना समझाइए।
  36. प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति के माप से क्या समझते हैं?
  37. प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति के उद्देश्य बताइए।
  38. प्रश्न- मध्यांक की गणना कीजिए।
  39. प्रश्न- मध्यांक की गणना कीजिए।
  40. प्रश्न- विचलनशीलता का अर्थ बताइए।
  41. प्रश्न- प्रसार से आप क्या समझते हैं?
  42. प्रश्न- प्रसरण से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- विचलन गुणांक की संक्षिप्त व्याख्या करें।
  44. प्रश्न- आवृत्ति बहुभुज और स्तम्भाकृति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  45. प्रश्न- तोरण वक्र और संचयी आवृत्ति वक्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  46. प्रश्न- स्तम्भाकृति (Histogram) और स्तम्भ रेखाचित्र (Bar Diagram) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- स्तम्भ रेखाचित्र (Bar Diagram) किसे कहते हैं?
  48. प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के मध्यांक की गणना कीजिए।
  49. प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के बहुलांक की गणना कीजिए।
  50. प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के मध्यमान की गणना कीजिए।
  51. प्रश्न- निम्न आँकड़ों से माध्यिका ज्ञात कीजिए :
  52. प्रश्न- निम्नलिखित आँकड़ों का मध्यमान ज्ञात कीजिए :
  53. प्रश्न- अग्रलिखित आँकड़ों से मध्यमान ज्ञात कीजिए।
  54. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  55. उत्तरमाला
  56. प्रश्न- सामान्य संभावना वक्र से क्या समझते हैं? इसके स्वरूप का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- कुकुदता से आप क्या समझते हैं? यह वैषम्य से कैसे भिन्न है?
  58. प्रश्न- सामान्य संभावना वक्र के उपयोग बताइये।
  59. प्रश्न- एक प्रसामान्य वितरण का मध्यमान 16 है तथा मानक विचलन 4 है। यह बताइये कि मध्य 75% केसेज किन सीमाओं के मध्य होंगे?
  60. प्रश्न- किसी वितरण से सम्बन्धित सूचनायें निम्नलिखित हैं :-माध्य = 11.35, प्रमाप विचलन = 3.03, N = 120 । वितरण में प्रसामान्यता की कल्पना करते हुए बताइये कि प्रप्तांक 9 तथा 17 के बीच कितने प्रतिशत केसेज पड़ते हैं?-
  61. प्रश्न- 'टी' परीक्षण क्या है? इसका प्रयोग हम क्यों करते हैं?
  62. प्रश्न- निम्नलिखित समूहों के आँकड़ों से टी-टेस्ट की गणना कीजिए और बताइये कि परिणाम अमान्य परिकल्पना का खण्डन करते हैं या नहीं -
  63. प्रश्न- सामान्य संभाव्यता वक्र की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- एक वितरण का मध्यमान 40 तथा SD 3.42 है। गणना के आधार पर बताइये कि 42 से 46 प्राप्तांक वाले विद्यार्थी कितने प्रतिशत होंगे?
  65. प्रश्न- प्रायिकता के प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
  66. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  67. उत्तरमाला
  68. प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- सह-सम्बन्ध की गणना विधियों का वर्णन कीजिए। कोटि अंतर विधि का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक गणना की प्रोडक्ट मोमेन्ट विधियों का वर्णन कीजिए। कल्पित मध्यमान विधि का उदाहरण देकर वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- उदाहरण की सहायता से वास्तविक मध्यमान विधि की व्याख्या कीजिए।
  72. प्रश्न- काई वर्ग परीक्षण किसे कहते हैं?
  73. प्रश्न- सह-सम्बन्ध की दिशाएँ बताइये।
  74. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
  75. प्रश्न- जब ED2 = 36 है तथा N = 10 है तो स्पीयरमैन कोटि अंतर विधि से सह-सम्बन्ध निकालिये।
  76. प्रश्न- सह सम्बन्ध गुणांक का अर्थ क्या है?
  77. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  78. उत्तरमाला
  79. प्रश्न- परीक्षण से आप क्या समझते हैं? परीक्षण की विशेषताओं एवं प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- परीक्षण रचना के सामान्य सिद्धान्तों, विशेषताओं तथा चरणों का वर्णन कीजिये।
  81. प्रश्न- किसी परीक्षण की विश्वसनीयता से आप क्या समझते हैं? विश्वसनीयता ज्ञात करने की विधियों का वर्णन कीजिये।
  82. प्रश्न- किसी परीक्षण की वैधता से आप क्या समझते हैं? वैधता ज्ञात करने की विधियों का वर्णन कीजिये।
  83. प्रश्न- पद विश्लेषण से आप क्या समझते हैं? पद विश्लेषण के क्या उद्देश्य हैं? इसकी प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
  84. प्रश्न- किसी परीक्षण की विश्वसनीयता किन रूपों में मापी जाती है? विश्वसनीयता को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिये।
  85. प्रश्न- "किसी कसौटी के साथ परीक्षण का सहसम्बन्ध ही वैधता है।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  86. प्रश्न- मानकीकरण से आप क्या समझते हैं? इनकी क्या विशेषतायें हैं? मानकीकरण की प्रक्रिया विधि की विवेचना कीजिये।
  87. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन एवं मनोवैज्ञानिक परीक्षण में अन्तर बताइए।
  88. प्रश्न- परीक्षण फलांकों (Test Scores) की व्याख्या से क्या तात्पर्य है?
  89. प्रश्न- परीक्षण के प्रकार बताइये।
  90. प्रश्न- पद विश्लेषण की समस्याएँ बताइये।
  91. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  92. उत्तरमाला
  93. प्रश्न- बुद्धि के अर्थ को स्पष्ट करते हुए बुद्धि के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
  94. प्रश्न- बिने-साइमन बुद्धि परीक्षण का सविस्तार वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- वेक्सलर बुद्धि मापनी का सविस्तार वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- वेक्सलर द्वारा निर्मित बच्चों की बुद्धि मापने के लिए किन-किन मापनियों का निर्माण किया गया है? व्याख्या कीजिए।
  97. प्रश्न- कैटेल द्वारा प्रतिपादित सांस्कृतिक मुक्त परीक्षण की व्याख्या कीजिए।
  98. प्रश्न- आयु- मापदण्ड (Age Scale) एवं बिन्दु - मापदण्ड (Point Scale) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  99. प्रश्न- बुद्धि लब्धि को कैसे ज्ञात किया जाता है?
  100. प्रश्न- बुद्धि और अभिक्षमता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  101. प्रश्न- वेक्सलर मापनियों के नैदानिक उपयोग की व्याख्या कीजिए।
  102. प्रश्न- वेक्सलर मापनी की मूल्यांकित व्याख्या कीजिए।
  103. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  104. उत्तरमाला
  105. प्रश्न- व्यक्तिगत आविष्कारिका क्या है? कैटेल द्वारा प्रतिपादित सोलह ( 16 P. F) व्यक्तित्व-कारक प्रश्नावली व्यक्तित्व मापन में किस प्रकार सहायक है?
  106. प्रश्न- प्रक्षेपण विधियाँ क्या हैं? यह किस प्रकार व्यक्तित्व माप में सहायक हैं?
  107. प्रश्न- प्रेक्षणात्मक विधियाँ (Observational methods) किसे कहते हैं?
  108. प्रश्न- व्यक्तित्व मापन में किन-किन विधियों का प्रयोग मुख्य रूप से किया जाता है?
  109. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  110. उत्तरमाला

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